हमने सभी रिश्तो में मिलावट देखा,
हमने कच्चे रंग का सजावट देखा।
लेकिन सालों साल से देखा है मैंने माँ को,
ना चेहरे पर कभी उसके थकावट को देखा,
ना उसकी ममता में कभी मिलावट को देखा।
माँ तेरे उस आँचल की मुझे छाँव चहिये,
माँ से रिश्ता कुछ ऐसा बनाया जाए,
की उसको अपने निगाहो में बिठाया जाए,
रहे हम दोनों का रिश्ता कुछ ऐसा,
अगर वो हो कभी उदास तो हमसे भी ना मुस्कुराया जाए।
तेरा एक क़र्ज़ हम पर हमेशा सवार रहता है,
तेरा प्यार जो हम पर हमेशा उधार रहता है।
मेरे लिए माँ तू है सबसे बढ़कर,
धन और दौलत नहीं कुछ तेरे से बढ़कर।
रचना - (अभय तिवारी) ✍️